Monday, 24 October 2016

अपमान का स्थानान्तरण



               अपमान का रूपांतरण

नमस्कार दोस्तों ! कैसे है आप ? वादे के अनुसार मैं एक सुन्दर और प्रेरणादायक लघु कथा लेकर आपके सामने उपस्थित हुआ हु.. यह एक सच्ची घटना है दोस्तों जो अभी हाल ही में घटित हुआ है | जिसके बारे में बहुत लोग सुने और जानते होंगे | लेकिन कई लोगो को इसके बारे में अभी भी पता नहीं है | यह घटना वाकई में काफी प्रेरणादायक है जो एक मजदुर के दृढ़ निश्चय और हौसले पर आधारित है – तो आइये हम भी इस कहानी (घटना) पढ़कर इससे प्रेरणा ले|           
पिछले दिनों महाराष्ट्र राज्य के कई जिलो में भयंकर सुखा पडा था | ऐसे भयंकर सूखे के समय जब बापुराव ताजने नामक एक मजदुर की पत्नी गाँव में बड़े लोगो के एक कुएं से पानी भरने गई तो उन्होंने उसे मना कर दिया | कुछ बड़े लोगो के इस व्यवहार से बापुराव ताजने तिलमिला गए | वह क्रोध से भर उठा | उसे सारी रात नींद नहीं आई | उसके मन में इस अपमान का बदला लेने का विचार आया, लेकिन कैसे ? वह कुछ नहीं कर सकता था यह सोचकर और ज्यादा परेशान हो गया | ऐसी जिल्लत की जिंदगी से तो मौत अच्छी | तरह-तरह के नकरात्मक विचार उसे परेशान कर रहे थे कि तभी उसके मन में एक अन्य विचार कौंधा | क्यों न अपने लिए अलग कूंआ खोद लिया जाए ? बापुराव ताजने ने अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया कि चाहे जो हो जाए वह अपना अलग कूंआ खोद कर ही रहेगा | अगले दिन बापुराव ताजने ने सभी लोगो को अपनी इच्छा के बारे में बतलाया और कूंआ खोदने में उनकी मदद मांगी | लोग उसकी इस विचित्र बात पर हंसने लगे, लेकिन बापुराव ताजने के मन में कूंआ खोदने का विचार कमजोर नहीं पढ़ा | उसने किसी की परवाह नहीं की और अकेले ही कूंआ खोद डालने का फैसला कर लिया | बापुराव ताजने ने दुसरे दिन ही एक ठीक-सी जगह देखकर कूंआ खोदना प्रारंभ कर दिया | वह लगातार चालीस दिन तक दिन-रात कूंआ खोदने में लगा रहा | एक दिन खुदाई करते समय जब उसने पाया कि नन्हे-नन्हे कई स्रोतों से पानी रिसता हुआ दिखलाई पढ़ रहा है तो उसकी प्रसन्नता की सीमा न रही | कुछ ही घंटो में कूंआ पानी से भर गया | 


तो आपने देखा दोस्तों -एक गरीब मजदुर आदमी का जिसकी समाज और मित्रो ने उसके विचारो एवं निश्चयो का न केवल मजाक उड़ाया, बल्कि उसकी मदद न करके उसे हतोत्साहित भी किया | लेकिन उन्होंने न सिर्फ उन लोगो की बातो को नजरअंदाज किया बल्कि अपने दृढ़ निश्चय पर अडिग रहे | दोस्तों – देखा जाय तो यह घटना हम आम आदमी की साथ अक्सर देखने को मिलती है | हमारे आसपास कई लोग ऐसे है जो वाकई में हमें सही सलाह देते है और हमारी मदद करते है | और कई लोग ऐसे भी होते है जिनसे हम उम्मीद तो रखते है लेकिन सही समय आने पर वे हमारी मदद तो नहीं करते उलटे हमारी परेशानियों का मजाक उड़ाते है | और हमें प्रोत्साहित करने की बजाय हमें हतोत्साहित करते है | लेकिन दोस्तों जो अपनी निश्चय पर अडिग रहता है मंजिल उन्ही को मिलती है , और अंत में दुनिया उन्ही को सलाम करती है | इसलिए हमें हमेशा अपने निश्चय-विचार और फैसलों पर अडिग रहना चाहिए .. प्रारंभ में जरुर मुश्किलें आ सकती है लेकिन अंत में जीत आपकी ही होगी दोस्तों |
So.. Best of Luck…



दोस्तों आपको ये प्रेरणादायक लघु कथा कैसी लगी ? जरुर बताइयेगा | मेरी मेल आई.डी - 1986.roshan@gmail.com है | आप लोगो की सुझावों का मुझे प्रतीक्षा रहेगी |

3 comments:

  1. sach me bahut acha kahani hai bhai ham aap se aasa krte hai ki aage vi aise hi or kahani padhne ko milega prena dai kahani milega

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    1. Bilkul .. aur mujhe bhi aap log se ummid rahegi ki aap log aise hi amulya samay deve.

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