Tuesday, 22 November 2016

मनुष्य गुणों से उत्तम बनता है



 - : मनुष्य गुणों से उत्तम बनता है :-


हाय दोस्तों ... कैसे है आप ? बढ़िया न ? अरे होंगे भी क्यों नहीं !! चलिए नियमानुसार मैं फिर आप लोगो के लिए एक सुन्दर सा लघु प्रेरक कथा लेकर आया हूँ , उम्मींद है यह कहानी भी आपको पिछली बार की तरह ही पसंद आयेगी |

एक राजा को अपने लिए सेवक की आवश्यकता थी | उसके मंत्री ने दो दिनों के बाद एक योग्य व्यक्ति को राजा के सामने पेश किया | राजा ने उसे अपना सेवक बना तो लिया, पर बाद में मंत्री से कहा, वैसे तो यह आदमी ठीक है पर इसका रंग-रूप अच्छा नहीं है |  मंत्री को यह बात अजीब लगी पर वह चुप  रहा | एक बार गर्मी के मौसम में राजा ने उस सेवक को पानी लाने के लिए कहा | सेवक सोने के पात्र में पानी लेकर आया | लेकिन राजा ने जब पानी पिया तो पानी पिने में थोडा गर्म लगा | राजा ने कुल्ला करके फेक दिया | वह बोला, इतना गर्म पानी, वह भी गर्मी के इस मौसम में, तुम्हे इतनी भी समझ नहीं | मंत्री यह सब देख रहा था | मंत्री ने उस सेवक को मिटटी के पात्र में पानी लाने को कहा | राजा ने यह पानी पीकर तृप्ति का अनुभव किया | मंत्री ने राजा से पूछा, “महाराज, सोने के पात्र का पानी आपको अच्छा नहीं लगा| लेकिन मिटटी के पात्र का पानी क्यों अच्छा लगा ? राजा मौन रहा | 




इस पर मंत्री ने कहा, “महाराज बाहर को नहीं, भीतर को देखे | सोने का पात्र सुन्दर, मूल्यवान और अच्छा है, लेकिन शीतलता प्रदान करने का गुण इसमें नहीं है | मिटटी का पात्र अत्यंत साधारण है, लेकिन इसमें ठंडा बना देने की क्षमता है | कोरे रंग-रूप को न देखकर, गुण को देंखे | उस दिन से राजा का नजरिया बदल गया | राजा जनक भी अक्सर कहा करते थे, “मैं अपनी सभा में आते समय लोगों के वस्त्र देखकर उन्हें सम्मान देता हूँ पर जाते समय चरित्र को देखकर सम्मान देता हूँ |

तो देखा दोस्तों आपने दुनिया में हर मनुष्य एवं हर वस्तु की कीमत होती है | चाहे व कितनी भी छोटी या साधारण क्यूँ न हो | सभी हमारे जीवन में खास महत्व रखता है |

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