- : मनुष्य गुणों से
उत्तम बनता है :-
हाय दोस्तों ... कैसे है आप ? बढ़िया न ? अरे होंगे भी क्यों नहीं
!! चलिए नियमानुसार मैं फिर आप लोगो के लिए एक सुन्दर सा लघु प्रेरक कथा लेकर आया हूँ
, उम्मींद है यह कहानी भी आपको पिछली बार की तरह ही पसंद आयेगी |
एक राजा को अपने लिए सेवक की आवश्यकता थी | उसके मंत्री ने दो दिनों के बाद एक
योग्य व्यक्ति को राजा के सामने पेश किया | राजा ने उसे अपना सेवक बना तो लिया, पर
बाद में मंत्री से कहा, वैसे तो यह आदमी ठीक है पर इसका रंग-रूप अच्छा नहीं है | मंत्री को यह बात अजीब लगी पर वह चुप रहा | एक बार गर्मी के मौसम में राजा ने उस सेवक
को पानी लाने के लिए कहा | सेवक सोने के पात्र में पानी लेकर आया | लेकिन राजा ने
जब पानी पिया तो पानी पिने में थोडा गर्म लगा | राजा ने कुल्ला करके फेक दिया | वह
बोला, इतना गर्म पानी, वह भी गर्मी के इस मौसम में, तुम्हे इतनी भी समझ नहीं |
मंत्री यह सब देख रहा था | मंत्री ने उस सेवक को मिटटी के पात्र में पानी लाने को
कहा | राजा ने यह पानी पीकर तृप्ति का अनुभव किया | मंत्री ने राजा से पूछा,
“महाराज, सोने के पात्र का पानी आपको अच्छा नहीं लगा| लेकिन मिटटी के पात्र का
पानी क्यों अच्छा लगा ? राजा मौन रहा |
इस पर मंत्री ने कहा, “महाराज बाहर को
नहीं, भीतर को देखे | सोने का पात्र सुन्दर, मूल्यवान और अच्छा है, लेकिन शीतलता
प्रदान करने का गुण इसमें नहीं है | मिटटी का पात्र अत्यंत साधारण है, लेकिन इसमें
ठंडा बना देने की क्षमता है | कोरे रंग-रूप को न देखकर, गुण को देंखे | उस दिन से
राजा का नजरिया बदल गया | राजा जनक भी अक्सर कहा करते थे, “मैं अपनी सभा में आते
समय लोगों के वस्त्र देखकर उन्हें सम्मान देता हूँ पर जाते समय चरित्र को देखकर
सम्मान देता हूँ |
तो देखा दोस्तों आपने दुनिया में हर मनुष्य एवं हर वस्तु की कीमत
होती है | चाहे व कितनी भी छोटी या साधारण क्यूँ न हो | सभी हमारे जीवन में खास महत्व
रखता है |
supar kahani bhai bahut acha lga
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