हैलो दोस्तों
... जीवन दर्शन के इस ब्लॉग पर आपका फिर से Welcom..!!
दोस्तों कई बार हमें ऐसा लगता है की
हमारे साथ कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है.. जो करना चाहते है वो हो नहीं पा रहा है..और
जो चाह रहे है वो मिल नहीं पा रहा है.. हमें ऐसा लगने लगता है कि ऐसी क्या कमी रह
गयी है हममे जिसके कारण भगवान हमें वह नहीं दे रहा है जिसकी हमें सबसे ज्यादा
जरुरत है.. पर सच यह है दोस्तों... कि “भगवान् वो नहीं देता जो हमें ठीक
लगता है.. बल्कि भगवान वो देता है जो हमारे लिए ठीक होता है..” आइये एक
छोटी से प्रेरक-कथा पढ़कर हम भी इस कथन को समझे...
एक बार भगवान् से उनका सेवक कहता है-
"भगवान् – आप एक जगह
खड़े-खड़े थक गए होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बन कर खड़ा हो जाता हु, आप
मेरा रूप धारण कर घूम आओ |" भगवान् मान जाते है
लेकिन शर्त रखते है, कि जो भी लोग प्रार्थना करने आये, तुम उनकी प्रार्थना सुन
लेना कुछ बोलना नहीं, मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है |
सेवक मान जाता है | और भगवान् के स्थान
पर खड़ा हो जाता है. तभी कुछ देर बाद एक व्यापारी वहां प्रार्थना के लिए पहुचता
है.. वह उसकी बातों को सुनता है परन्तु कुछ नहीं बोलता है.. जाते समय उस व्यापारी
के जेब से नोटों की गड्डी गिर जाती है. परन्तु वह जल्दबाजी में उसे देख नहीं पाता
| और न ही सेवक कुछ बोल पाता है.. तभी उसके जाने के बाद एक गरीब आदमी भगवान से
अपनी विनती करने पहुचता है.. अपनी गरीबी दूर करने के लिए , तथा अपने परिवार का
पालन-पोषण करने के लिए दया-याचना करता है.. तभी उसकी नज़र रुपयों की गड्डी पर पड़ती
है.. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. वह भगवान् को धन्यवाद करते हुए उस पैसे को
उठाकर चला जाता है.. सेवक उसे रोकना चाहता था पर रोक नहीं पाया.. थोड़ी देर बाद एक
दलाल पहुचता है जो जहाजो में आयत-निर्यात का
कार्य करता था | वह ईश्वर से प्रार्थना करता है कि- हे ईश्वर जिस प्रकार अभी तक
तूने मुझ पर अपनी कृपा बरसायी , वैसे ही हमेशा मुझ पर कृपा बरसाते रहना और मेरे साथ
रहना | इस बार मुझे सौदे के लिए विदेश जाना है.. इतना कहकर वह जैसे ही मुड़ता है कि
वह व्यापारी आ पहुचता है जिसका नोटों की गड्डी गिरी हुई थी.. वह आते ही अपने
रुपयों की मांग करता है.. पर दलाल उसे साफ़ मना कर देता है कि ना ही उसने कोई रूपये
रखे है | और ना ही वह उसके बारे में कुछ जानता है.. यह सुनकर व्यापारी और भी गुस्सा
हो जाता है.. और यह कहकर की मेरे बाद तुम्ही यहाँ आए हो, सीधे-सीधे से मेरे रूपये
वापिस लौटा दो , नहीं तो मैं तुम्हे पुलिस के हवाले कर दूंगा | बातें बिगड़ते देख
ईश्वर बना सेवक उनके सामने आ जाता है और सब कुछ सच-सच बता देता है | उसकी बातों को
सुनकर पुलिस गरीब के घर पहुचकर उसे गिरफ्तार करके जेल में डाल देता है और रुपयों
को व्यापारी को वापस लौटा देता है.. जब ईश्वर वापस आते है तो सेवक पूरी घटना को
बताता है और कहता है कि मैंने आपका काम बहुत अच्छे तरीके से किया तथा न्याय का साथ
दिया.. ईश्वर उनकी बातों को सुनकर बोलते है की तुमने कुछ भी ठीक नहीं किया |
तुम्हारे बोलने के कारण सबकुछ गड़बड़ हो गया | यदि व्यापारी का थोडा धन खो भी जाता
तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता वो और भी कमा सकता था.. किन्तु यदि थोडा-सा धन भी उस गरीब
को मिल जाता तो उसके परिवार सुखी-सुखी जीवन व्यतीत कर सकते थे | और जो दलाल अपनी
सौदे के लिए विदेश जा रहा था उसकी जहाज आज डूबने वाली है और उसमे उसकी मौत हो
जाएगी | यदि वह कुछ दिन जेल में रहता तो उसकी मौत होने से बच जाती | उसके परिवार
एवं उसके द्वारा किया गया प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाता | परन्तु तुमने बोलकर सबकुछ
गड़बड़ कर दिया | यह सुनकर सेवक को अपने कार्य पर बहुत पछतावा होता है. वह ईश्वर से क्षमा
याचना करता है.. साथ ही उसे इस बात की भी यकीं हो जाता है की ईश्वर का कार्य इतना
आसान नहीं होता जितना हम समझते है.. ईश्वर वही करते है जो हमारे लिए ठीक होता
है...
तो देखा दोस्तो.. कि हम कैसे अपनी
नासमझी के कारण खुद को तकलीफ एवं मुसीबत में डाल देते है , और फिर बाद में ईश्वर को ही
दोष देते है.. |
दोस्तों आपको यह कहानी कैसे लगी अपनी comment
से जरुर बताइयेगा |
धन्यवाद् !
Hhhj
ReplyDelete