Sunday, 11 December 2016

जैसा बोओगे- वैसा काटोगे





   
क आदमी ने बबूल का पौधा लगाया और बड़ी लगन से उसकी देखभाल की | लोगों ने उसे कटीले पौधे पर इतनी मेहनत करते देखकर कहा, यह तुम क्या कर रहे हो ? उस आदमी ने उत्तर दिया, इस पौधे पर इतने बढ़िया फल आएंगे आम के कि तुम देखते रह जाओगे | लोगों ने उसे समझाया कि तुम पागल हो | कहीं बबूल के पेड़ पर आम लग सकते है ? पर उस आदमी की समझ में नहीं आया | रोज उत्सुकता से देखता कि अब उस पर आम लगेंगे, अब लगेंगे, लेकिन आम लगने कहाँ थे जो लगते ! दुनिया में अधिकांश व्यक्ति उसी अज्ञानी की भांति हैं | वह बीज दुःख के बोते हैं और सोचते हैं कि फसल सुख की काटेंगे | यह कदापि संभव नहीं है | कहावत है, जैसा बोओगे , वैसा काटोगे | गीता में कहा गया है, हम काम करें किन्तु फल की इच्छा न करें | फल की इच्छा अनेक समस्याओं का कारण बनती है | फिर व्यक्ति कर्म क्यों करेगा ? अच्छे कर्म करना जरुरी है क्योंकि इसी से हमें आत्मिक संतोष और प्रसन्नता की अनुभूति होती है | आगे चलकर उसका नतीजा भले ही कुछ क्यों न हो, किन्तु तत्काल मिला संतोष और प्रसन्नता हमारा बहुत बड़ा लाभ है | राल्फ वाल्डो एमर्सन ने कहा है, पूरा जीवन एक अनुभव है | आप जितने अधिक प्रयोग करते हैं, उतना ही इसे बेहतर बनाते हैं | हमें यह समझ लेना चाहिए कि जिस प्रकार एक डाल पर बैठा व्यक्ति उसी डाल को काटता है तो उसका निचे गिर जाना अवश्यम्भावी है, उसी प्रकार गलत काम करने वाला व्यक्ति अन्ततोगत्वा गलत फल पाता है | 

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