Wednesday, 14 December 2016

जहाँ धैर्य है – वहां सुख-शांति है |



  
दोस्तों धैर्य और शांति का भाव हमारे दैनिक जीवन में बड़ा ही उपयोगी है ... आज हममे से बहुत लोग संयुक परिवार में जीवन बिताते होंगे , और कई लोग अपनी परिस्थिति और मजबूरीवश एकांत का जीवन बीतते होंगे | जहाँ धैर्य और शांति की बात है | यह सभी जगह पर काम आने वाली महत्वपूर्ण चीज़े है. . और जहाँ संयुक्त परिवार का निवास होता है वहां सभी के विचार भी भिन्न-भिन्न होने की संभावना बनी रहती है | ऐसे में एक-दुसरे में मतभेद प्रकट होना लाज़मी हैं | किन्तु घर के बड़ों का यह कर्तव्य होता है की वे धैर्य और शांति के साथ आपसी प्रेमभाव बनाये रखे – जिससे घर की सुख-शांति हमेशा के लिए बनी रहे | तो आइये दोस्तों एक छोटी से लघु प्रेरक कथा से हम इसे और भी अच्छी तरह से समझे और अपने जीवन में लाने का प्रयत्न करे |

क्सर देखा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी अपने सच्चे भक्तों से रूठ भी जाती है | ऐसे ही एक दिन एक भक्त से लक्ष्मी जी रूठ गई | जाते वक्त बोली, मैं जा रही हूँ और मेरी जगह “आफत” आ रही है | तैयार हो जाओ | लेकिन मैं तुम्हें अंतिम भेंट जरुर देना चाहती हूँ | मांगो जो भी इच्छा हो | उस भक्त ने विनती की, हे लक्ष्मी माँ , आपकी आज्ञा शिरोधार्य | यदि “आफत” आए तो आने दो हम उसका भी स्वागत करते हैं | लेकिन मेरे परिवार में आपसी प्रेमभाव बनाए रखें | बस मेरी यही इच्छा है | यह सुनकर लक्ष्मी जी मंद-मंद मुस्कुराई और भक्त को तथास्तु कहा | कुछ दिन के बाद शाम के वक्त उस घर की छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी | सारी तैयारियां करके उसने खिचड़ी में नमक आदि डाला और घर के दुसरे काम करने लगी | अभी वह दुसरे कार्यो में ब्यस्त थी कि दुसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई | शाम को सबसे पहले वह भक्त आया | पहला निवाला मुंह में लिया | देखा बहुत ज्यादा नमक है | लेकिन वह समझ गया कि | “आफत” आ चुकी है | उसने चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया | इसके बाद बड़ा बेटा आया, उसने पहला निवाला मुंह में लिया | निवाला मुंह में जाते ही उसने पूछा कि पिता जी ने खाना खा लिया | क्या कहा उन्होंने ? सभी ने उत्तर दिया, हाँ खा लिया, कुछ नहीं बोले | अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नहीं बोले तो मैं चुपचाप खा लेता हूँ | रात को “आफत” ने हाथ जोड़कर भक्त से कहा, मैं जा रही हूँ | भक्त ने पूछा, क्यों ? तब आफत ने कहा , मैं रहके भी क्या करुँगी ? यहाँ मेरी कोई आवश्यकता नहीं | 



तो देखा दोस्तों घर के बड़े ने कैसे अपने परिवार में आपसी प्रेमभाव बनाये रखा | इसी प्रकार से हम सभी लोग धैर्य को अपनाते हुए, अपनों में आपसी प्रेमभाव रख सकते है | आपको ये प्रेरक-कथा कैसी लगी जरुर बताइयेगा |  

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