Wednesday, 7 December 2016

सच्चाई और ईमानदारी



क बढई किसी गाँव में काम करने गया, लेकिन वह अपना हथौड़ा साथ ले जाना भूल गया | उसने गाँव के लोहार के पास जाकर कहा, मेरे लिए एक अच्छा सा हथौड़ा बना दो | मेरा हथौड़ा घर पर ही छुट गया है | लोहार ने कहा, बना दूंगा पर तुम्हे दो दिन इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि हथौड़े के लिए मुझे अच्छा लोहा चाहिए | वह कल मिलेगा | दो दिन में लोहार ने बढई को हथौड़ा बना कर दे दिया | हथौड़ा सचमुच बहुत अच्छा था | बढई की सिफारिश पर एक दिन ठेकेदार लोहार के पास पंहुचा | उसने हथौड़ा का बड़ा आर्डर देते हुए यह भी कहा कि पहले बनाये हथौड़े से अच्छा बनाना | लोहार बोला उससे अच्छा नहीं बन सकता | जब मैं कोई चीज़ बनता हूँ तो उसमे अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता, चाहे कोई भी बनवाए | धीरे-धीरे लोहार की शोहरत चारो तरफ फ़ैल गई | एक दिन शहर का बड़ा व्यापारी आया और लोहार से बोला, ‘मैं तुम्हे डेढ़ गुना दाम दूंगा, शर्त यह होगी कि भविष्य में तुम सारे हथौड़े केवल मेरे लिए ही बनाओगे | हथौड़ा बना कर दुसरो को नहीं बेचोगे | व्यापारी की बात सुनकर लोहार ने कहा कि नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता | मुझे अपने इसी दाम में पूर्ण संतुष्टि है | अपने मेहनत का मूल्य मैं खुद निर्धारित करना चाहता हूँ | अपने फायदे के लिए मैं किसी दुसरे के शोषण का माध्यम नहीं बन सकता | आप मुझे जितने अधिक पैसे देंगे , उसका दोगुना गरीब खरीददारों से वसूलेंगे | मेरे लालच का बोझ गरीबो पर पड़ेगा, जबकि मैं चाहता हूँ कि उन्हें मेरे कौशल का लाभ मिले | मैं आपका प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर सकता | 





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