बनारस में एक ब्राह्मण रहता था | नाम उसका सत्य था | उसके पिता ने उसे बचपन
में पढ़ाने का बहुत प्रयास किया किन्तु वह पढ़ नहीं सका | जब वह बड़ा हुआ तो उसे
शिक्षा प्राप्त न करने का बहुत अफ़सोस हुआ | एक दिन वह गंगा जी के किनारे गया और
तपस्या करने लगा जिससे उसे ज्ञान प्राप्त हो जाये | इंद्र ब्राह्मण के रूप में
उसके पास आए और गंगा जी में रेत फेकने लगे | सत्य ने इंद्र से पूछा – ‘श्रीमान, आप
नदी में रेत क्यों फेक रहे हैं इंद्र ने उत्तर दिया- ‘महोदय, मैं एक पुल बना रहा
हूँ |’ ‘ लेकिन आप इस तरह अपने उद्देश्य
में सफल नहीं हो सकते |’ सत्य ने इंद्रा से कहा |
‘यदि मैं नदी में रेत फेककर
पुल नहीं बना सकता तो आप तपस्या करके ज्ञान प्राप्त करने की आशा कैसे करते हैं |’
सत्य ने तपस्या छोड़ दी और वह जीवन संघर्ष में निष्काम योगी-सा जुटकर ज्ञान के
अर्जन में लग गया और तब उसे ज्ञान हुआ कि सच्ची तपस्या तो यही है |
acha lga bhai
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