हाय दोस्तों , आजकल आप सभी ने देखा होगा की जब भी टीवी चैनल
देखों उसमे दर्जन भर ऐसे चैनल मिलेंगे जिसमे कई संत महात्मा लोगो के प्रवचन सुनने
और देखने को मिलते है.. और उनकी श्रोताओं की हजारो की भीड़ रहती है जिसमे अधिकतर पुरुषों
की अपेक्षा महिलाए की भीड़ ज्यादा देखी जाती है. ये तो बहुत अच्छी बात है दोस्तों
.. लेकिन मैं मानता हूँ ऐसे प्रवचन देखने और सुनने से क्या फायदा जब हम उसका एक
प्रतिशत भी अपने जीवन और दिनचर्या , व्यवहार में भी ना ला सके | फिर तो उनका
प्रवचन व्यर्थ ही हुआ ना. आए दिन कुछ न कुछ घटना सास और बहूँ की देखने को मिल ही
जाती है..क्यूंकि दोस्तों जब तक हम अपने मन को उस चीज़ को ग्रहण करने लायक नहीं
बनायेंगे तब तक उसका हमें सही लाभ नहीं मिल पायेगा | ऐसे ही एक प्राचीन घटना आपके सामने प्रस्तुत कर
रहा हूँ | उम्मीद है आप इस घटना के माध्यम से इस तथ्य को भली-भाँती से समझ पायेंगे
|
एक भिक्षुक जब भिक्षा मांगने के लिए निकलते तो एक
घर में एक औरत रोज अपनी बहु से झगडती मिलती | एक दिन भिक्षुक उसी औरत के घर भिक्षा
मांगने पहुच गए और आवाज लगाई, ‘भिक्षाम देही’ | घर से सास बाहर आई और कमंडल में
भिक्षा डालते हुए बोली , “महाराज प्रवचन दीजिए |” भिक्षु बोले, ‘बेटा, प्रवचन आज
नहीं, कल दूंगा |’ अगले दिन भिक्षुक पुनः उस घर के सामने गए और आवाज दी ‘भिक्षाम देही ‘| वह महिला घर से बाहर आई और
भिक्षुक के कमंडल में खीर डालने लगी | उसने देखा की उसमें कूड़ा भरा है | वह बोली, ‘महाराज,
आपका कमंडल तो गन्दा है |’ भिक्षुक बोले, “हां , गन्दा है लेकिन तुम इसमें खीर डाल
दो |’ वह बोली, ‘नहीं’ महाराज, अगर मैंने इस कमंडल में खीर डाल डी, तो वह खाने
लायक नहीं रहेगी |’ भिक्षुक बोले, ‘तुम चाहती हो कि जब यह कमंडल साफ़ हो जाएगा, तभी
तुम इसमें खीर डालोगी |’ महिला ने कहा, “महाराज, तभी तो खीर खाने योग्य रहेगी |’
महाराज बोले “जिस तरह से गंदे कमंडल में खीर डालने से खीर खाने योग्य नहीं रहेगी, उसी
तरह मेरा उपदेश भी तुम्हारे लिए तब तक अनुपयोगी रहेगा जब तक तुम्हारे मन में लोगों
के प्रति, संसार के प्रति द्वेष भाव और चिंताओं का कूड़ा भरा रहेगा |’
तो दोस्तों इस घटना (कहानी) के माध्यम
से आप समझ ही गए होंगे कि हमें बाहर से ही नहीं अन्दर से भी अपने आप को स्वच्छ
रखना होगा | आप को यह लेख कैसी लगी | अपना अमूल्य सुझावों के द्वारा मुझे जरुर
अवगत करियेगा |
धन्यवाद् |